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akhil redhu & musavvar - qala lyrics

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[akhil redhu & musavvar “qala” के बोल]

[verse 1]
तुझे तोहफ़े में रब ने दिया हुस्न, लेकिन लकीरों में ग़म और सज़ा दी है
बयाँ कर सका न तुझे कोई, शायद मुझे इसलिए ही कला दी है
तू लफ़्ज़ों से कुछ न कहे, पर ये आँखें तेरी हर वो किस्सा बताती है
वाक़िफ़ हूँ उन सारी ग़ज़लों से जो तेरे आँसुओं कब की मिटा दी है

[refrain]
है जितना तू उतना ही बिखरा मैं, जैसे जवानी में फिसला मैं
ख्वाबों की चादर जो तूने बना दी उस चादर में संग तेरे लिपटा मैं
खोना ना हूँ तेरा हिस्सा मैं, जैसे कहानी का किस्सा मैं
ख्वाबों की चादर जो तूने बना दी उस चादर में संग तेरे लिपटा मैं

[chorus]
तेरी रूह से रोज़ हूँ मिलता मैं, जब+जब तेरे इश्क़ पे लिखता मैं
तेरी रूह से रोज़ हूँ मिलता मैं, जब+जब तेरे इश्क़ पे लिखता मैं

[verse 2]
ठुकराया मुझे जो ज़माने ने, तू ही तो है जिसने घर पे पनाह दी है
बदले में मैंने भी घर की वो ज़ख़्मी दीवारे वफ़ा से सजा दी है
कितने भी हो फासले, अब ये राहें मुझे बस तुम्ही से मिलाती हैं
इशारे जो समझूं खुदा के तो, मिलने की उसने हमें हर वजह दी है

[refrain]
है जितना तू उतना ही बिखरा मैं, जैसे जवानी में फिसला मैं
ख्वाबों की चादर जो तूने बना दी उस चादर में संग तेरे लिपटा मैं
खोना ना हूँ तेरा हिस्सा मैं, जैसे कहानी का किस्सा मैं
ख्वाबों की चादर जो तूने बना दी उस चादर में संग तेरे लिपटा मैं
[bridge]
तेरे दिल में सवाल है रिश्ते पे, और मैंने जन्मों का रिश्ता निभाया है
कैसे बता के जिस दिन से देखा है, उस दिन से दुल्हन बनाया है
माना के दिल थोड़ा डरता है, जब भी दो नैनों ने इसको लुभाया है
लेकिन हाँ मिलता सुकून है, जब तेरी पलकों का आता वो साया है

[chorus]
तेरी रूह से रोज़ हूँ मिलता मैं, जब+जब तेरे इश्क़ पे लिखता मैं
तेरी रूह से रोज़ हूँ मिलता मैं, जब+जब तेरे इश्क़ पे लिखता मैं



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