azlyrics.biz
a b c d e f g h i j k l m n o p q r s t u v w x y z 0 1 2 3 4 5 6 7 8 9 #

dizlaw - dilbar (romanized) lyrics

Loading...

[verse 1]
जागे सुबह
आँखों को तुम न दिखे
कल रात हुई चीज़ों का ज़िक्र
हम किस से करें
ढूंढे तुम्हें
या पल को बुलाते रहें
रोते इन आँखों से हम
कैसे हँसे

[hook]
दिलबर सुनो
चाहके भी दिन भर न हो
ठहरो दो पल और यहाँ
और कुछ न कहो हो होoooo

[verse 2]
दिलबर
क्यों दिखती नहीं तुम दीवारों के भीतर
दरार दे इशारे
जो हम में गिरे हैं तभी हम यहीं पर
इन्हें तोड़ो ज़रा
और आओ तुम पास अब मेरे
कसके जो बाँहें भरे
होंगे ग़म तब जुदा
[hook]
दिलबर सुनो
चाहके भी दिन भर न हो
ठहरो दो पल और यहाँ
और कुछ न कहो हो होoooo



Random Lyrics

HOT LYRICS

Loading...