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farhan khan & mr. doss - resham lyrics

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[farhan khan & mr. doss “resham” के बोल]

[verse 1]
मैं करना चाहता बात अपने आप से
भटके हुए रास्ते पे मिले हैम
अब खाली धुआं सीने में पहले एहसास थे
ये टूटा दिल मुकम्मल पहले था जब वो थे साथ मे
बिखर के रोना उसकी बाहें जो ठिकाना हो
खानसाहब को भूल जा मुझे बस तू दीवाना बोल
ख़ुदाया मौत दे पर उसके नहीं नाम की
मोहब्बत की बदनामी से बेहतर कोई बहाना सोच
दिल+ओ+दिमाग़ में तसवीर अब भी बाकी है
चाहत में सुकून पर तकदीर नहीं राजी है
ये मेरा दर्द+ए+दिल, इस्की दावा नहीं है
चाँद बिना देखे किसी ईद का मजा नहीं है
मेरे मेहबूब के चेहरे से हटा बादल
कश्ती टूटी पर ये क्या करेगी बिना सागर?
हफ़्तों से सोया नहीं हो गया पागल
नींद में उड़ाते कफ़न झूठ बोल के तू चादर
आंखें जब खुले तो दफनाया जा चूका हूं
कामसेकम वहां से तुझ तक कभी आ ना पौन
तुझको पाना चाहु पर तू जैसा बद्दुआ है
दिल जब भी लगाया तुझसे बदले में वो बस दुखा है हां

[chorus]
रेशम की तोर से जुड़े थे दिल हमारे
बेहद वो हसीन पर कमज़ोर थे वो धागे
तुझको चल रहे थे आँखों में बसा के
जब से तू गया अब खुद से ही हम आँखें ना मिलाते
[verse 2]
खोया+खोया तुझको पा के था
अब तू है जाने का
रोके भी ना जिस्म ये खाली मिट्टी की ढाँचे का
तू मुझे देख के माँगा करती थी दुआ पर दुआ मे कोई और
मैं टूटा बस एक सितारे सा
हुआ जो दूर मेरी जिंदगी में नूर नहीं
ख़ुदा नाराज़ उससे मेरी ख़ुशियाँ हैं क़ुबूल नहीं
वो खफ़ा क्यूँकि उसके सिवा तुझे चाहा
मतलब दोनों ही हम बेवफ़ा बस तेरा है क़सूर नहीं
गम जो ये मिला है वो मेरी सजा है
मुस्कुराना सीखा बस तुझे मैंने था हंसा के
अब जो तू गया पूरी रौनक को उड़ा के
बाज़ारों में आवारा फिर रहा ले के में जनाज़े
अंधेरा खालीपन हाथों में खाली cigarette जलाता
पत्थर दिल कभी ना कभी तो पिगले
किस्से अब शिकायत और अब किस्से करु शिकवे?
अब जो भी यहां होगी बातें वो होगी खुदा से मिल के

[chorus]
रेशम की तोर से जुड़े थे दिल हमारे
बेहद वो हसीन पर कमज़ोर थे वो धागे
तुझको चल रहे थे आँखों में बसा के
जब से तू गया अब खुद से ही हम आँखें ना मिलाते

[outro]
yo doss. what’s good?



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