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mark bhatia & big bunny - nikhalas lyrics

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[mark bhatia & big bunny “nikhalas” के बोल]

[intro]
yeah
आज फिर से आया हूँ, नशे भी क्या+क्या करा देते हैं
मैं घूमने आया था, यहाँ पे भी लिखने बैठ गया
आह, तो फिर क्या? फिर से वही रोज की मारा+मारी, रोज की sh+t
d+mn bro, this is that real sh+t
अभी मैं एक time पे खुश होके परेशान भी हूँ, बस मुझे ये समझ नहीं आता, ऐसा कैसे हो सकता है
woah, yeah

[verse]
कर रहा वो सब जो करना चाहता था
बस गुलामी को छोड़ के
उससे ना पेट भरेगा, ना गल्ला
तो जवानी को छोड़ के, बैगानी का क्या फायदा
जो अपना उसमें ही अपने का जायका
और मुझे दबने का डर ना घर ना मायका
कितना भी कह लूँ के जो हूँ वही ऊपर
यहाँ सबके दो चेहरे और मेरे में इसलिए तो दो दराज़े
कोड़ी एक भी ना और दो आवाज़ें
इमारत है दो जगह पे, ढोल नगाड़े, शोर शराबे
रोज शराबें और रोज शराब पे तड़ियात
अपने बाप की तरह हूँ, हासिल कर लिया पर घाक में पड़ा हूँ
पीड़ियों से पीड़ित, विलायत चला हूँ
सब भाग रहे हैं, इतेलाक कर रहे हैं
मैं बोलने लगता हूँ, खराश कर रहे हैं
कपट समझ रहे हैं, निराश कर रहे हैं
कोई समझ नहीं रहा, समाज बन रहे हैं
मैं अच्छा आदमी था, ये नास कर रहे हैं
खुदको खो रहे हैं फिर काश करने हैं
माँ को मालूम फेफड़े काले पड़ गए हैं
रिश्ते में दरार है, महफ़िल में दावे बढ़ गए हैं
गांडे फट रही पर चौड़े चल रहे हैं
अय्याशी करनी है, सिक्के जोड़े चल रहे हैं
मुजरे के शौकीन, नई+नई नचनियाँ बुलाते हैं
फिर थूकते हैं उसपे और वो चाटने को जाते
बस यही ज़िंदगी का सार, मैं बोल रहा हूँ ओले पड़ रहे हैं
दाढ़ी+मूंछ बनवाते वक्त सोचता अंदर से कितने खोखले पड़ गए हैं
दोगलो के हौसले बढ़ गए हैं और हौसलों से दोगले बन गए हैं
[outro]
अभी मैं एक time पे खुश होके परेशान भी हूँ, बस मुझे ये समझ नहीं आता, ऐसा कैसे हो सकता है



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