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noir - phantom lyrics

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noir verse+

मुझे देखती है क़ौम (dekhti hai kaum)
मुझे सुनता है कौन? (sunta hai kaun)
जो गीत से बेहतर है गाली
तो मैं सबसे उम्दा हूँ मौन (word)
बिना वजह बहता है ख़ून (khoon)
देर रात बजता है फ़ोन (ring ring)
मूक खड़े मेरे सारे मुक़बर (alright)
back+b+tch करे मेरी back+bone (fax)

मैं लिखता हूँ क्या, मुझे दिखता है क्या
मुझे दिखता ही ना, तो मैं लिखता ही क्या?
ज़बाँ मार दे ज़मीर तो फिर बिकता है क्या
किसी गुनाह का सबूत कोई पुख़्ता है क्या?
मेरा लगता है क्या? मेरी सत्ता है क्या
मुझपे वक़्त ही नहीं बचा, मेरा वक़्त आये क्या
दिन गिनता ही ना, मुझे चिंता है क्या
मर गया है ज़मीर मुझमें ज़िंदा है क्या?

कलाकार हूँ मैं, कला मेरी बला बने, भला करे
दम घुटे गला दबे, तब स्याही गला भरे
सलाह करे कौन, जब ये ज़लज़ला जला करे
कला करे बहतरी, पर बेहतर हो ये बला टले
कला मेरी सोच को दे लाल सुर्ख़ रंग
on the fore heads, i see a red dot
हूँ मैं ख़ुद में ख़ुदा, कहो राजा या रंक
not a godfather, motherf+ckin’ mad god
sick me (सिक्किम) मेरी बात यानी gang talk(गंगटोक)
मेरे ऐब तक, अदब करें abduct
noir factor, बस सीमित नहीं rap तक
when i pull, (pull up) pull the doggy(style) off a lapdog
moshpit करे मेरा, तेरा सत्संग नास (vasuki)
काल (noir/अँधेरा) रोज़ खाये नाश्ते में दस रंगबाज़, (noir)
राजा (king of snakes) गड्डी बिखेर देगा, मसलन ताश, (vasuki)
हुआ नज़रों से नज़रिया जो नज़रअंदाज़ (noir)

+hook+

what i don’t wanna say
what i don’t wanna see
phantom (ghost) in my head
with a dark energy
phantom (rr) at my door
got caught in a beam
it’s way to the dark
though, here i’ve been

verse+ vasuki

हमारे अंतरों में अंतर, मैं बकता हूं बदतर
,हूं चुभता मैं नश्तर
ये आंकड़ों का कम दर, तेरे नाटक की सरहद
,तू आकेंगा कमतर?
तेरी ताकत है आढ़त, खींचे औसत का आयत
तू बिस्तर पर लश्तर
भरे हर्बल तू हर पल, दी खबरों ने दस्तक
तो खप गए सब खटमल
मैं ना तस से मस , they not us they must
फसा फक्त मै वक्त में, time is pi(pie) cuz frosting
मेरे मन में अंतरिक्ष, i’m so dark & distant
कला वास्तु की मुझे, like an architecture
vision is ageing, and i’m born extinct
more distance to the modesty
जिधर राख पड़ी, मुझे लोग मिले
मदहोशी में होश के रोध दिख गए

क्या फरोशी (selling conscience) फसानों (story) की वर्त (living) मान लूं
जमीर बेचता ज़माना अधीन(aashrit) कहां तू?

जैसे गमों में उठते जनाजे
हर दिन आंकता, हर दिनांक से बेहतरी [noir]
इनके पैंतरे ढूंढते पैर, कला पे क्या यकीन? [vasuki]
ये तैश से बोल मेरे, ताल जैसे है सटीक [noir]
संगीन होता संगीत, तो संग होते संघटित [vasuki]



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