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rain (india) - magnapinna lyrics

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एकाकी अँधेरा
खारा मन अब ना गहरा
एक पल भी ना ठहरा
गोरे से गोरा यहाँ दिखे ना चहरा

खाल पे जब वो लहरा
काँपे घमंड भी मेरा
उनके पंखों में धार, जाने क्या हो सवार
“अबे यहाँ नहीं आना था” खुदा भी कह रहा

how do i swim back up out?
आगे कुआँ पीछे खाई नहीं, कुएँ की खाई में मैं
(जो वो देख पाते, खुद डरते यहाँ से)
पिघलते ढ़ाचों की ग़हराई में मैं

नाव में बह रहा
हर इंसान है बहरा
वो एकाकी अंधेरा
पाताल खतम हो जहाँ
वहाँ भूतों का रोज़ बसेरा

speak up, speak up
magnapinna
क्यों पानी के अंदर तू मांगे पसीना?
मेरा घुट रहा दम, मेरा फट रहा सीना
speak up, speak up
magnapinna
एकाकी अँधेरा
पहाड़ भी अब ना गहरा
मेरे घुटने पे जब वो लहरा
गोरे से गोरा यहाँ दिखा ना चहरा

छत पे तलवे अंजान
यहाँ एक चींटे भर की तेरी जान
ज्वाला भी लगे ना गीला
लाल से भयानक रंग जो नीला

how for my life do i swim back out?
सुन्न मेरी आँख, my gut tapped out
सुने सब झूठ, तुझे जाने भी कौन
(please god, could you turn the lights back on?)

माफ़ी भी माँगी, मैं झुका फिर घुटनों पे
बची ढाई साँसें, चमकी चढ़ाई
काँपते पैरों में जमी ऐसी बर्फ़
जैसे घुटे किसी बन्दे को फ़ांसी लगाई

speak up, speak up
magnapinna
क्यों पानी के अंदर तू मांगे पसीना?
मेरा घुट रहा दम, मेरा फट रहा सीना
speak up, speak up
magnapinna
speak up, speak up
magnapinna
क्यों पानी के अंदर तू

skeletons screaming
magnapinna
(rain)



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