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rajib gartia - ghost lyrics

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++verse 1++
(सन्नाटा गूंजे, हवाओं में खौफ)
रात का साया, ये अंधेरा ख़ास है
दहशत से भरा, जैसे कोई पास है।
छाया में कुछ हलचल, पर डरता नहीं
शैतान की आहट, पर मैं झुकता नहीं।

++chorus++
(ये भूतों का खेल, ये रूहों का जाल)
हंसी जो गूंजे, वो भयानक मालाल
रूहें डरातीं, छाती है आग
दुनिया के इस पार, बस है अंधेरों का राग।

++verse 2++
तू है रूह या शैतान का साया
तेरी परछाईं से हर कोई घबराया।
सांय+सांय करतीं हवाएं डरावनी
रात की खामोशी में गूंजें ये कहानी।

++bridge (rap)++
भूतों का ये रस्ता, चलूँ मैं अकेला
रूहें हैं गूंजतीं, है खेल ये अलबेला।
डर को दबाकर, मैं खड़ा हूँ यहां
तेरी अंधेरी सड़क का हूं मैं भी वहां।

++chorus++
(ये भूतों का खेल, ये रूहों का जाल)
रातों की कहानियां, जैसे कोई मिसाल
दुनिया के इस पार, अंधेरों का गीत
शैतान और भूतों का नाच है अजीब।



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