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rushil aswal - kati patang lyrics

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[verse 1]
दिल में जो यादें तुम्हारी और किस्से हमारे
उन्हें एक ही पल में कैसे भुला दूँ?
प्यार को पाना ही तो मैंने सीखा है
क्या मतलब दिल जो तेरा मेरे पास है लौटा दूँ
मेरी मंज़िल पहाड़ों के ऊपर
तू शेरपा के जैसी
तेरे जाते ही मैं टूट न जाऊँ
मन में अंगार तो मेरे भी हैं
पर डर है इन चिंगारियों से न खुद को जला दूँ

[chorus]
और आगे का तो किसको पता है
पर आज भी मेरा ये मुझे डराए
ख्वाब देखे तो कोई भी तभी
जब उसको थोड़ी नींद आए
तो जैसी भी धुन थी
तेरे संग
है अब ये ग़म सी
कटी पतंग
की तरह हवा के संग अब मैं चलूँ

[verse 2]
आसान ये होता जो तू बुरी होती
पर जो कुछ भी मैं हूँ वो तेरी बदौलत
किसी को जाना है तो उसे रोक न पाए कोई
प्यार में होती न है अदालत
तू जो बोले तू है वही
मैं बातें बनाऊँ, मैं चीज़ें छुपाऊँ
और ये मुझे ही पता है
दिखाने से डरता हूँ कि कितना कमजोर हूँ मैं
नहीं कर सकता हमेशा तेरी हिफाज़त
[chorus]
अब जाने से तेरे जो ये खामोशी छाई
इसे मेरे गीत मिटाएं
ख्वाब देखूँ तो कोई भी तभी
जब मुझ को थोड़ी नींद आए
तो जैसी भी धुन थी
तेरे संग
है अब ये ग़म सी
कटी पतंग
की तरह हवा के संग अब मैं चलूँ

[outro]
ताकि खुलके तो साँस मैं ले सकूँ
और अकेला भी कुछ पल मैं रहना सीखूँ
ताकि खुलके तो साँस मैं लेना सीखूँ
अभी के लिए तो मैं अकेला ठीक हूँ



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