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siyaahi & neil c.k. - taur/tareeke lyrics

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[siyaahi & neil c.k. “taur/tareeke” के बोल]

[intro]
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[verse 1]
मन है शांत, लगते रोज़ मल्हम है
दिमाग खराब, एक कमज़ोर सड़क है
रास्ते अनजान, कौनसा मोड़ किधर है?
तरीके सही, बस तौर गलत है
ये दर्द पिछले ज़माने का, दौर अलग है
हम सुईयों से खेले, उसको डोर पसंद है
मैं मुश्किलों से भागूं, उसकी दौड़ गज़ब है
मैं इतना मतलबी हैवान भी दोस्त न बने
शराब दे ठेराव पर, उसका शोर सनम है
घरवाले परेशान कि बेटा भोज न बने
छुड़ाना चाहता वक़्त पर उसको पूरी भनक है
ज़िन्दगी मुझसे कहती, थोड़ा और परख ले
पैदाइश माँ की कोख से, कलम की नोक पे
आराम से सोना सीखा नहीं, ज़ख्मों की चादर ओढ़ के
जो करवटें ले ज़ोर से, इरे तो लगती चोट
i keep a score for ups and downs फिलहाल तो lows one up है

[pre+chorus]
मन है शांत, लगते रोज़ मल्हम है
दिमाग खराब, एक कमज़ोर सड़क है
रास्ते अनजान, कौनसा मोड़ किधर है?
तरीके सही, बस तौर गलत है
मन है शांत, लगते रोज़ मल्हम है
दिमाग खराब, एक कमज़ोर सड़क है
रास्ते अनजान, कौनसा मोड़ किधर है?
तरीके सही, बस तौर गलत है
[chorus]
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[verse 2]
ये आँखों में थाकन और इरादे अतल हैं
हम गाने करना चाहते पर धंधों में अटक गए
चलंगे मारे तू बस गद्दों से संभल के
जो फिसले अपने पैर तो फस गए कसम से
to the up and coming rappers
“ये industry भरम है”
तुझे art की फिकर, उन्हें numbers की कदर है
तो फिर ले ले मुझसे single रकम, फेक रकम फेक
मेरी जात धर्म न पूछ ये नज़म ही मज़हब है
जिनसे बनती नहीं है मेरी, फिर फायदा क्या मदद लेके?
मैं खो चुका हूँ खुदको अब न मज़ा लौटने में
काफी नाज़ों से था पाला, अब न जान पौधे में
मैं पहचानू मौके पर हूँ नादान सौदे में
मुझसे ज़िन्दगी नाराज़, मौत से दोस्ती करके बैठे
वो बिन बुलाये आती, और थक गए पहरे देके
किसी पे न भरोसा या रोज़ बदलते चेहरे
चार दिन की ज़िन्दगी में तीसरी दोपहर में

[pre+chorus]
मन है शांत, लगते रोज़ मल्हम है
दिमाग खराब, एक कमज़ोर सड़क है
रास्ते अनजान, कौनसा मोड़ किधर है?
तरीके सही, बस तौर गलत है
मन है शांत, लगते रोज़ मल्हम है
दिमाग खराब, एक कमज़ोर सड़क है
रास्ते अनजान, कौनसा मोड़ किधर है?
तरीके सही, बस तौर गलत है
[chorus]
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