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anand bhaskar collective – main hoon zameen lyrics

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भीड़ में खड़ा, भीड़ से ज़ुदा
सर्द हवा की ऊन से साँसें बुन रहा

मैं हूँ ज़मीं, आसमां भी
नज़र रहूँ, मैं कहकशां भी
हुकुम हूँ मैं, मैं इल्तज़ा भी
मैं हूँ ज़मीं, आसमां भी

सर्द ये जहां, कांपती ज़ुबां
ज़िंदगी से ना रुके ये सरगोशियाँ
धूप जब भी पिघली, जो बर्फ सर सी फिसली
ले जुनून का सेक मैं फिर से जी उठा
मैं ज़िदा हूँ, मैं फ़ना भी (मैं हूँ ज़मीं मैं आसमां, नज़र रहूँ मैं कहकशां, हुकुम हूँ मैं भी इल्तज़ा, मैं हूँ ज़मीं मैं आसमां)
मैं लफ़्ज़ हूँ, मैं दास्तां भी (मैं ज़िदा हूँ, मैं हूँ फ़ना, मैं लफ़्ज़ हूँ मैं दास्तां, मैं हूँ ग़ुनाह मैं ही सजा, मैं हूँ ज़मीं मैं आसमां)
क़ाफ़िर हूँ मैं, मैं खुदा भी (मैं हूँ ज़मीं मैं आसमां, नज़र रहूँ मैं कहकशां भी)
मैं ही सज़ा, मैं ग़ुनाह भी (मैं हूँ ज़मीं, मैं आसमां)
मैं हूँ ज़मीं, आसमां भी
नज़र रहूँ, मैं कहकशां भी
हुकुम हूँ मैं, मैं इल्तज़ा भी
मैं हूँ ज़मीं, आसमां भी, woah



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