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kk & jeet gannguli – rafta rafta (from “raaz 3”) lyrics

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रफ़्ता+रफ़्ता हो गई, तू ही मेरी ज़िंदगी
रफ़्ता रफ़्ता हो गई चारों तरफ़ रोशनी

सजदे में तेरे सर है, थोड़ा सा दिल में डर है
कैसे करूँ मैं बयाँ?
जानूँ ना, जानूँ ना, जानूँ ना
रफ़्ता+रफ़्ता हो गई…

चाहे दीदार तेरा, नज़रें झुके भी
मेरे क़दम चलना चाहें, रुकें भी
लब भी कुछ कहना चाहे लेकिन गुम हैं सब बातें
गुमसुम सी भी है ज़ुबाँ

चाहे दीदार तेरा, नज़रें झुके भी
मेरे क़दम चलना चाहें, रुकें भी
लब भी कुछ कहना चाहे लेकिन गुम हैं सब बातें
गुमसुम सी भी है ज़ुबाँ

रफ़्ता+रफ़्ता हो गई, तू ही मेरी ज़िंदगी
रफ़्ता रफ़्ता हो गई चारों तरफ़ रोशनी

सजदे में तेरे सर है, थोड़ा सा दिल में डर है
कैसे करूँ मैं बयाँ?
जानूँ ना, जानूँ ना, जानूँ ना
रफ़्ता+रफ़्ता हो गई…
मेरा वजूद अब तू मुझमें है शामिल
सोहबत में तेरी मुझे सब कुछ हासिल
फिर क्यूँ लगता है ऐसा, जैसे मैं हूँ बेख़ुद सा
ढूँढूँ मैं ख़ुद को कहाँ?

मेरा वजूद अब तू मुझमें है शामिल
सोहबत में तेरी मुझे सब कुछ हासिल
फिर क्यूँ लगता है ऐसा, जैसे मैं हूँ बेख़ुद सा
ढूँढूँ मैं ख़ुद को कहाँ?

रफ़्ता+रफ़्ता हो गई, तू ही मेरी ज़िंदगी
रफ़्ता रफ़्ता हो गई चारों तरफ़ रोशनी

सजदे में तेरे सर है, थोड़ा सा दिल में डर है
कैसे करूँ मैं बयाँ?
जानूँ ना, जानूँ ना, जानूँ ना
रफ़्ता+रफ़्ता हो गई…



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