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kratu bhatt – dhoop lyrics

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धूप गिरती है फर्श पर मेरे खिड़की से
धूप छनती बाहर खड़े पेड़ों की डाली से
छूकर पत्ते कमरे में मेरे आये
सौंधी सौंधी खुशबू से महकाये
ये धूप
तेरी है क्या?
क्या है रूप तेरा?
तू है कहाँ?

तुम जब आओ दरवाज़े से आना
बहारें गर लाओ पतझड़ संग लेजाना
तकियों पे अब तक खुशबू ये तुम्हारी हैं
सदियों से यादों का कमरा खाली है
इसको तुम फिर भर जाओ
जो आये इस दफा फिर न जाओ।



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