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purva mantri feat. shravan mantri – the papa song lyrics

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कंधों पे बिठा के सवारियाँ कराते
थोड़ी डाँट+डपट लगा के भी टॉफ़ियाँ दिलाते
वो cycle पे बिठा के गालियाँ हैं घुमाते, पापा

थोड़ी सी है मस्ती और है थोड़ी सी सख़्ती
फ़िर भी उँगली पकड़ के हैं चलना सिखाते
वो जैसे मुश्किलों में पहरा बन जाते, पापा

ख़्वाहिश हो जो तारों की तो वो सीढ़ी बन जाते हैं
बारिश हो जो आँखों से तो वो छतरी बन जाते हैं
हो सवाल ‘गर दिल में तो वो जवाब ले आते हैं

मौसम लाख बिगड़ते हैं, पर वो बहार ले आते हैं
हाँपती सी हो नाव जो मेरी, वो लहर बन जाते हैं
अँधेरे कमरों में जैसे रोशनी ले आते हैं

कंधों पे बिठा के सवारियाँ कराते
थोड़ी डाँट+डपट लगा के भी टॉफ़ियाँ दिलाते
वो cycle पे बिठा के गालियाँ हैं घुमाते, पापा



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