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sudhanwa vaid – safar lyrics

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[intro]
सफर में मज़ा है, मंजिल तो बस नशा है
ढूंढू मैं जो भी जाने वो कहां है?
मिल जाए बुझ जाए प्यास ये
किसी ने सुना है जो मैंने ना कहा है
रुक जाना गुनाह है, बस सफर मैं ही मज़ा है

[verse]
एक चीज़ से हूं रूबरू जो कभी भूलूंगा नहीं
मंजिल तो खूब मिलेंगी पर कभी रुकूंगा नही
पुरानी बातें और पुराना वक्त याद तो बोहत आता है
पर पीछे मुड़े देखने का क्या फायदा?
जब जहां आगे बुलाता है

[outro]
सफर मैं मज़ा है, ज़िंदगी तो नशा है
ढूंढू मैं जो भी जाने वो कहां है
किसी ने सुना है जो मैने ना कहा है
रुक जाना गुनाह है बस सफर मैं मज़ा है



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